एन्थ्राक्स एक खतरनाक एवं जानलेवा रोग है। यह सर्वप्रथम फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने इसके पहले प्रभावी वैक्सीन का निर्माण किया।
गिल्टी रोग का जीवाणु बहुत तेजी से फैलता है और यह लम्बे समय तक जीवित रहता है। संक्रमित पशु के लार, मल, दुग्ध व अन्स स्त्राव में मौजूद जीवाणु का संक्रमण दूसरे पशुओं में चला जाता है।
एंथ्रेक्स बीमारी फैलने का कोई नियत समय या मौसम नहीं होता है। यह बीमारी साल के किसी भी महीने में फैल सकती है।
लक्षण-
पशु कमजोर हो जाता है ।
पागुर करना बंद कर देता है।
पशु को तेज बुखार हो जाता है।
प्लीहा बढ़ जाता है।
पेट फूल जाता है।
नाक, पेशाब और मल द्वार से खून बहने लगता है।
रोकथाम-
पशु को vaccine जरुर लगवाए।
रोगी पशु Quarantine करे।
Disinfectant,Antiseptic,Sanitizerका इस्तेमाल करे।
अगर पास के गांव में कोई पशु को यह रोग हुआ है तो पशुपालक आवागमन बंद कर दें।
मरे हुए पशु की खाल नहीं छुड़वाएं जिससे बीमारी और फैलती है। पशुओं को मृत्यु के बाद पांच-छह फुट गड्ढा कर चूना के साथ गाड़ देना चाहिए।
औषधी-
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