बकरी/बकरा पालन एक कृषि निगडित व्यवसाय है जिसे विशेषताएं मास, दूध के लिए किया जाता है.साथ ही इससे खाद भी प्राप्त होता है उससे भी मुनाफा कमा सकते है, ये एक मात्र येसा व्यवसाय है जिसमें काफी मुनाफा ओर profit कमा सकते हैं।
बकरी पालन भारत के किसी भी माहौल तथा जलवायु में , साधारण आवास, कम रख-रखाव तथा पालन-पोषण के साथ किया जा सकता है। इसके उत्पाद की बिक्री आसानी से उपलब्ध है। इन्हीं कारणों से पशुधन में बकरी का एक विशेष स्थान है।
- बकरी का विभिन्न जलवायु तथा विभिन्न क्षेत्रों में अपने को ढालने की क्षमता रहती है। इसी गुण के कारण बकरियां देश के विभिन्न भौगोलिक भू-भागों में पाई जाती हैं और कम लागत मे पाला जाता है।
- बकरी की अनेक नस्लों का एक से अधिक बच्चे की क्षमता रखना इससे बकरी की रूढ़ियाँ होती रहती है और काफी जल्दी bussiness बढ़ जाता हैं।
- बकरी की व्याने के उपरांत अन्य पशु प्रजातियों की तुलना में पुन: जनन के लिए जल्दी तैयार हो जाना ।
- बकरी हर 6 से 7 महीने में ब्याती है और साथी ही 2 से 4 मेमने को जन्म देती हैं।
- कम से कम खुराक का इंतजामात भी बकरी पालन को सफल बनाती हैं।
- बकरी मांस का उपयोग किया जाता है साथ ही इससे दूध निकाला जा सकता है जो गाय तथा भैस से दूध से मँहगा होता है।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी बकरी को ‘गरीब की गाय’ कहा करते थे।
गरीब किसानों एवं खेतिहर मजदूरों के हिसाब से कर पाने वाला एक व्यवसाय है।
अगर इसे professional bussiness के तौर पर करे तों काफी आय प्राप्त कर सकते है उसके लिए कुछ बातों का ध्यान करना पडेगा।
जेसे
- जैसे बिजनेस की सुरुवात उसका अभ्यास
- व्यवस्थापन तथा पशु चुनाव
- मेडिकल चेकिंग और देखभाल
- इनपुट- जेसे खाद्य खिलाना
- आऊटपुट- पशु के बेचने तथा मास को बेचने, दूध निकालना तथा प्रजनन
- बिजनेस बढ़ाने के तरफ का गणित
.
........1....... bussiness की सुरुवात के लिए इसका अभ्यास अत्यंत अवश्यक है. बिना इसके अध्ययन से इसे सफल बनाना कठिन है.हम इस ब्लॉग मे केवल therotical knowledge/ information देते है, practical knowledge/ information आप किसी पास के गोट फर्म से प्राप्त करे।
इसके लिए किसी successful goat farm institute से अध्ययन करना आवश्यक है। .
किसी institute से आप इसका अध्यायन करने से आपको बकरी पालन से संबंधित practical जानकारी मिल जाएगी जेसे-
बकरी पालन को लगने वाली लागत तथा उसका व्यवस्थापन साथ ही shedding औऱ flooring technique, बकरी को लगने वाले खाद्य की जानकारी, बकरी को लगने वाले रोगों की जानकारी, पशु बेचने की जानकारी,उसे लगने वाले supplement की जानकारी. ये काफी कम लागत में जादा मुनाफा देना वाला bussiness है इसमें मुनाफा बकरी की शरीर के तथा उसके वजन के हिसाब से मिलता हैं
Bussiness के startup केसे करे.
1. Large scale farm
इससे समझिए
पशु संख्या -50
क्षेत्रफल- 200 से 300 sq. Feet
खर्च- 8 से 9 लाख रुपये (नस्ल के नुसार)
(1.5 लाख शेडिंग और flooring और 4 से 5 लाख पशु में,हरा चारा काटने कि मशीन -50000 रुपये, )
5 से 6 लाख साल का खर्चा एसा जाएगा-
सूखा चारे का खर्चा- 1,00,000 रुपये per year (नस्ल के नुसार बढेगा),
हरा चारा उगाने का खर्चा एवम जमीन- 2 एकर जमीन और 5000 रुपये per year
मजदूर और उनका खर्च- 1 मजदूर और 7000 रुपये per person मजदूरी मतलब 84000 रुपये per year
चिकित्सा का खर्चा 20000 रुपये per year
बीमा कराए तो वो अलग से होना से बीमा राशि के नुसार
बिजली पानी और अन्य खर्चा - 10000 रुपये per year
2. Small scale farm
पशु संख्या -20 से 30
Shetraphal - 100 से 200 sq. Feet
kharcha -5 से 6 लाख (नसला के नुसार)
(1 लाख शेडिंग और 2 से 3 लाख पशु का price,हरा चारा काटने की मशीन -50000 रुपये, )
1 से 2 लाख का खर्चा एसा जाएगा
सूखा चारे का खर्चा-50000 रुपये per year (नसला के नुसार बढ़ेगा) .
हरा चारा उगाने का खर्चा एवम जमीन- 1 एकर जमिन और 5000 रुपये per year
मजदूर और उनका खर्चा - 84000 रुपये per year
चिकित्सा का खर्चा-5000 रुपये per year
बीजली पानी और अन्य खर्चा - 5000 रुपये per year
Micro scale farm
इसमें उपरवाले के मुकाबले खर्चा बहुत आएगा किसान इसके साथ खेती भी कर सकता है इसमें चारा काटने की मशीन आवश्यक नहीं है फिर भी खर्चा एसा रहेगा
1. पशु की संख्या 5 से 10 बस्स
2. क्षेत्र मात्र 50 sq feet शेडिंग उतनी आवश्यक नहीं
3. हरा चारा ½ एकर खर्चा ना के बराबर I
4.सूखा चारा 10000 रुपये per year
मजदूरी किसान स्यमंतक कर लेगा
बिजली पानी चिकित्सा पूरा पकड़े तो 2000 per year
........2............व्यवस्था की बात करें तो इसे भी shedding तथा हरा चारा उगाने के लिए जगह आवश्यक हैं.
Shedding 100 से 200 sq feet बड़ा हो. Shedding ऐसा हो जो ज्यादा गरम ना हों बकरियों को ठंडक देता रहे उसके लिए उसे थोडा ऊँचा बनाए .
Summer में हवा आती जाती रहें इसका ध्यान रखे.
Winter और mansoon में खिड़कियां बंद कर सके ऐसा प्रबंध करे।
बकरीयों को जमीन पर ना बैठ पाए इसके लिए उनके लिए लकड़ी का बेड बनाए या फिर रबर मत का इन्तेजाम करे. बकऱ्या हिंड फिर सके इनके लिए इने खुला छोड़ सके ऐसे व्यवस्था करे,
बकरीयो नस्ल के नुसार और भी बदलाव आवश्यक है. नस्ल जितनी अच्छी रहेगी उतना उसका शरीर बनेगा उतनाही उसासे आय मिलेगी लेकिन उतनाही उसकी देख-भाल का खर्चा बढ़ेगा. मतलब जितनी आय चाहें उतनी उत्कृष्ट नस्ल की बकरी की ज़रूरत रहेगी, साथ ही अच्छी breed के बकरों से सामन्य बकरी से भी अच्छे मेमने प्राप्त कर सकते है
बकरियों की नस्ल की जानकारी
विश्व मे कुल 160 करोड़ बकरियां है.
भारत में बकरियों के नस्ल कुछ इस प्रकार हैं।
1.बीटल- इसे लाहौरी बकरी भी कहते हैं. ये काले तथा लालसर रंग की होती हैं. Bital दिन में 1 से 2 लिटर दूध 6 से 7 महीने देती हैं.
इस बकरी में male goat का weight 50 से 70 kg और female goat 50 से 60kg होता हैं.
पहिली ब्याने का समय 20 से 22 महीने तक जा सकता है.
2.बरबेरी - यह कम बालों वालीं बकरी हैं. ये सफेद तथा लालसर रंग के धबे होते हैं. बरबेरी दिन में 1 से 1.5 लिटर दूध 3 से 3.5 महीने देती हैं. जिसमें fat 5% से अधिक होता है।
इस बकरी में male goat का weight 35 से 50 kg और female goat 20 से 40kg होता हैं.
पहिली ब्याने का समय 18 से 20 महीने तक जा सकता है.
3.कच्छी- इसे काठीयावारी बकरी भी कहते हैं. ये काले रंग की बालो वाली होती हैं. ये दिन में 0.5 से 2 लिटर दूध 3 से 4 महीने देती हैं.
इस बकरी में male goat का weight 45 से 50 kg और female goat 30 से 40kg होता हैं.
पहिली ब्याने का समय 20 महीने तक जा सकता है.
4. उस्मानावादी-. ये सफेद काले तथा लालसर रंग की होती हैं और शरीर पर काले धबे होते है. ये दिन में 2 से 3.5 लिटर दूध 4 से 5 महीने देती हैं.
इस बकरी में male goat का weight 40 से 50 kg और female goat 20 से 30kg होता हैं.
पहिली ब्याने का समय 19 से 20 महीने तक जा सकता है.
5. ब्लैक बंगाल- इसे बंगाली बकरी भी कहते हैं. ये काले, ग्रे, तथा लालसर रंग की होती हैं. यह दिन में 1 से 2 लिटर दूध 3 से 4 महीने देती हैं. साथ ही 3 से 4 मेमने साल में 3 बार हो जाते है।
इस बकरी में male goat का weight 10 से 20 kg और female goat 10 से 15kg होता हैं.
पहिली ब्याने का समय 15 से 18 महीने तक जा सकता है.
6.सुरती- इसे महाराष्ट्र की रानी भी कहते हैं. ये सफेद रंग की होती हैं. ये दुधारू बकरी दिन में 2 से 3 लिटर दूध 5 से 6 महीने देती हैं.
इस बकरी में male goat का weight 20 से 30 kg और female goat 20 से 25kg होता हैं.
पहिली ब्याने का समय 16 से 18 महीने तक जा सकता है.
7.मालवारी-इसे तेलीचेरी बकरी भी कहते हैं. ये सफेद रंग की होती हैं.
इस बकरी में male goat का weight 40 से 50 kg और female goat 30 से 40kg होता हैं.
पहिली ब्याने का समय 14 से 16 महीने तक जा सकता है.
8.जमुनापरी- . ये काले तथा लालसर रंग की होती हैं साथ ही काले रंगकी मार्क होती है. इसमें कान नीचे के तराफा होते हैं. जमुनापरी दिन में 2 से 2.5 लिटर दूध 5 से 8 महीने देती हैं. Fat- 3 से 5% होती हैं.
इस बकरी में male goat का weight 65 से 80 kg और female goat 45 से 60kg होता हैं.
इसका हाइट 90 से 100 cms male में और 80 से 90 cms female में होती है।
9. सिरोही- ये काले तथा लालसर रंग की होती हैं तथा काले धब्बे होते है. ये दिन में 1 से 2 लिटर दूध 7 से 8 महीने देती हैं.
इस बकरी में male goat का weight 40 से 50 kg और female goat 20 से 30kg होता हैं.
पहिली ब्याने का समय 19 महीने तक जा सकता है.
10. सानेन- ये सफेद रंग की होती हैं. और दिन में 10लिटर से 12 लिटर दूध 6 से 9 महीने देती हैं.
इस बकरी में male goat का weight 85 से 90 kg और female goat 60 से 80kg होता हैं.
अगर अलग breed रखे तो bussiness बढेगा मुनाफा मिल सकता है, लेकिन एक ही breed रही तो मॅनेजमेंट बढ़िया रहेगा.
अगर budget कम हो तो सामन्य याने local breed वाली ही बकरीया फर्म मे डाले औऱ कोई भी breed वाला बकरा रखे ताकि अच्छि breed मे जो local temperature और environment मे suit हो जाए.
एक से ज्यादा breed रखी तो खर्चा थोडा बडे सकता है . उसमे अगर मास के लिए बकरी पालना हो या फिर दूध के लिए सही चुनाव करना अवश्यक है.
बिझनेस के बजेट के नुसार बिझनेस बड़ा सकते है.
.........3...........इससे महीने के हिसाब से जानते है.
जनवरी (January)
- 1. पशुओं को सर्द से होने वाले निमोनिया से बचाव करें।
- 2. खुरपका-मुँहपका का टीका अवश्य लगवायें।
- 3. PPR की जांच करे
- 4. Parasite, किडे,मच्छर से बचाव के लिए दवा स्नान करायें यातो छिड़काव करे।
- 5. दुहान करने का रहा तो पहले थन को गुनगुने पानी से धो लें।
- 6. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
- सुबह की धूप दे
फरवरी (February)
- 1. खुरपका-मुँहपका और PPR का टीका नहीं किया तो लगवाकर पशुओं को सुरक्षित करें।
- 2. जिन पशुओं में जुलाई अगस्त में टीका लग चुका है, उन्हें पुनः टीके लगवायें।
- 3. Parasite और internal worms के लिए दवा पिलवायें।
- 4. कृत्रिम गर्भाधान कराने का सही वक्त।
- 5. बांझपन की चिकित्सा 3 से 5 महिने का पशु के गाभण का परीक्षण करायें।
- 6. बरसीम का बीज तैयार करें।
- 7. पशुओं को ठण्ड से होने वाले प्लुरो निमोनिया बीमारी का प्रबन्ध करते रहे।
- 8. Supplements feed देते रहे।
मार्च (march)
- 1. पशु की जांच कराए
- 2. बधियाकरण करायें।
- 3. खेत में चरी, सूडान तथा लोबिया की बुआई करें।
- 4. मौसम में परिवर्तन से पशु का बचाव करें
- 5. Feed में शुध्दता का ध्यान रखें।
अप्रैल (April)
- 1. खुरपका-मुँहपका रोग से बचाव का टीका लगवायें।
- 2. जायद के हरे चारे की बुआई करें, बरसीम चारा बीज उत्पादन हेतु कटाई कार्य करें और थोड़ी थोडी मात्रा में खिलाएं।
- 3. अधिक आय के अच्छा प्रोटीनयुक्त चारा दे।
- 4. Internal एवं external parasite के बचाव दवा स्नान/दवा पान से करें।
- 5. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
मई (may)
- 1. गलाघोंटू तथा लंगड़िया बुखार का टीका सभी पशुओं में लगवायें।
- 2. पशुओं को हरा चारा पर्याप्त मात्रा में खिलायें।
- 3. पशु को स्वच्छ पानी पिलायें।
- 4. पशु को सुबह एवं सायं नहलायें।
- 5. पशु को लू एवं गर्मी से बचाने की व्यवस्था करें।
- 6. परजीवी से बचाव हेतु पशुओं में उपचार करायें।
- 7. बांझपन की चिकित्सा करवायें तथा गर्भ परीक्षण करायें।
- 8. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
जून (June)
- 1. गलाघोंटू तथा लंगड़िया बुखार का टीका अवशेष पशुओं में लगवायें।
- 2. पशु को धूप से बचायें।
- 3. हरा चारा पर्याप्त मात्रा में दें।
- 4. परजीवी निवारण हेतु दवा पशुओं को पिलवायें।
- 5. खरीफ के चारे मक्का, लोबिया के लिए खेत की तैयारी करें।
- 6. बांझ पशुओं का उपचार करायें।
- 7. सूखे खेत की चरी न खिलायें अन्यथा जहर वाद का डर रहेगा।
- 8. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
- 9. PPR की जांच करे।
जुलाई (July)
- 1. गलाघोंटू तथा लंगड़िया बुखार का टीका शेष पशुओं में लगवायें।
- 2. खरीफ चारा की बुआई करें तथा जानकारी प्राप्त करें।
- 3. पशुओं को अन्तः कृमि की दवा पान करायें।
- 4. वर्षा ऋतु में पशुओं के रहने की उचित व्यवस्था करें।
- 5. ब्रायलर पालन करें, आर्थिक आय बढ़ायें।
- 6. प्रोटीनयुक्त चारादे।
- 7. पशुओं को खड़िया का सेवन करायें।
- 8. कृत्रिम गर्भाधान अपनायें।
- 9. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
अगस्त (August)
- 1. नये आये पशुओं तथा अवशेष पशुओं में गलाघोंटू तथा लंगड़िया बुखार, PPR का टीकाकरण करवायें।
- 2. लिवर फ्लूक के लिए दवा पान करायें।
- 3. गर्भित पशुओं की उचित देखभाल करें।
- 4. ब्याये पशुओं को अजवाइन, सोंठ तथा गुड़ खिलायें। देख लें कि जेर निकल गया है।
- 5. जेर न निकलनें पर पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें।
- 6. पशु को परजीवी की दवा अवश्य पिलायें।
- 7. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
सितम्बर (September)
- 1. उत्पन्न संतति को खीस (कोलेस्ट्रम) अवश्य पिलायें।
- 2. अवशेष पशुओं में एच.एस. तथा बी.क्यू. का टीका लगवायें।
- 3. मुँहपका तथा खुरपका का टीका लगवायें।
- 4. पशुओं की डिवर्मिंग करायें।
- 5. Feed supplements दे।
- 6. ब्याये पशुओं को खड़िया पिलायें।
- 7. गर्भ परीक्षण एवं कृत्रिम गर्भाधान करायें।
- 8. तालाब में पशुओं को न जाने दें।
- 9. थनैला रोग की जाँच अस्पताल पर करायें।
- 10. खीस पिलाकर रोग निरोधी क्षमता बढ़ावें।
- 11. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
अक्टूबर (October)
- 1. खुरपका-मुँहपका, PPR का टीका अवश्य लगवायें।
- 2. बरसीम एवं रिजका के खेत की तैयारी एवं बुआई करें।
- 3. निम्न गुणवत्ता के पशुओं का बधियाकरण करवायें।
- 4. उत्पन्न संततियों की उचित देखभाल करें
- 5. स्वच्छ जल पशुओं को पिलायें।
- 6. सूखा चारा अधिक खिलाए।
- 7. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
नवम्बर (November)
- 1. खुरपका-मुँहपका का टीका अवश्य लगवायें।
- 2. कृमिनाषक दवा का सेवन करायें।
- 3. पशुओं को संतुलित आहार दें।
- 4. बरसीम तथा जई अवश्य बोयें।
- 5. लवण मिश्रण खिलायें।
- 6. थंड से बचाव करे ।
- 7. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
दिसम्बर (December)
- 1. पशुओं का ठंड से बचाव करें, परन्तु झूल डालने के बाद आग से दूर रखें।
- 2. बरसीम की कटाई करें।
- 3. वयस्क तथा बच्चों को पेट के कीड़ों की दवा पिलायें।
- 4. खुरपका-मुँहपका रोग का टीका लगवायें।
- 5. PPR का टीका अवश्य लगायें।
- 6. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें
.........4...........खाद्य क्या खिलाए.
पशु के शरीर की देखभाल के लिए 1किलो प्रतिदिन खिलाए.
दुधारू पशुओं के लिए 1 kg दाना चारा दे
गाभिन बकरी के लिए चार महीने से ऊपर की गाभिन बकरी को एक से 1.5 kg दाना प्रतिदिन सुबह शाम देना चाहिए।
मेमने के लिए एक किलो से 0.5 kg तक दाना प्रतिदिन उनकी उम्र या वजन के अनुसार देना चाहिए।
सौ किलो संतुलित दाना बनाने का ग्राफ
दाना मिश्रण के फायदा
- बकरी अधिक समय तक मेमने को दूध देने की क्षमता रहती है।
- पशुओं को पसंद आता है और यह पौष्टिक होता है।
- बहुत जल्दी पच जाता है और पशु का शरीर बनता हैं और वजन बढ़ता हैं।
- यह पदार्थ सस्ता पड़ता हैं।
- पशु रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- दूध और में भी बढ़ोत्तरी होती है।
...........5.........बकरियों से मुनाफा लेना रहा तो इसके लिए 3 तरह से ले सकते है।
1. बकरीयों को meat food के लिए पालना-बाकियों मे बकरा याने male बकरों का meat खाने में खास पसंद किया जाता है. उससे काफ़ी अलग अलग dishes बना सकते हैं उसे इसकी मांग काफ़ी बड़ी जाती हैं. साधारणत male goat का weight 30 से 60(नस्ल के नुसार) तक रह सकता है . और female का 20 से 50 तक रहता हैं।
अगर goat meat का per kg weight देखे तो average 400 से 700 rupees रेहता हैं. उसके हिसाब से देखें तो 40 kg का 2 साल का बकरा (40×500) 20000 रह सकता है. इससे ये income काफी बढ़ जाती हैं।
ज्यादातर बकरे नग के हिसाब से ही बेचे जाते है.इससे उसका रेट कोई फिक्स नहीं रहता.
जितना weighted और healthy बकरा रहेगा उतनी उसकी कीमत लगेंगी।
2.बकरियों को milk के लिए पालना ये भी
profitable bussiness यहा पर दूध निकाले बेचना काफी easy और सस्ता है. भलेही बकरियां दूध कम दे लेकिन market में उनकी काफ़ी डिमांड हैं. Goat milk में गाय के मुकाबले काफी fat होती हैं जो काफ़ी मुनाफा दिलाती हैं ।
एक average बकरी दिन में 2 से 3 लिटर दूध देंगी. जेसे अगर average बकरी दूध का रेट देखे तो 60 रूपे प्रति लिटर तो दिन के 100 से 120 rupees आयेंगे जो महीने के 3000 से 3600 बनेंगे. बकरियों 3 से 4 महीने ही दूध देते हैं और बकरियां काफी जल्दी ब्याती है।
बकरीया 1 से 4 तक मेमने को जन्म दे सकती है जीसे bussiness काफी तेजी से बढ़ता है।
3. बकरीया जेसे दूध औऱ meat मे आगे है वैसे ही खाद व्यवसाय में भी आगे हैं. इससे bussiness में काफ़ी मदत हो जाती हैं .
Average 1kg खाद 10 rupees में बेची जाती हैं और इसे नर्सरी वाले ख़ास तौर पर खरीदते हैं.
मेमने को भरपूर दूध पिलाना चाहिये उससे वो काफ़ी तंदरुस्त बनते है अगर वो अच्छे बोकड बने तो प्रजनन के काम आ सकते है।
•प्रजनन एक ऐसी टर्म है जो bussiness पर काफ़ी प्रभाव करती है। .
•जितने तंदरुस्त बोकड से बकरी प्रजनन करवायेंगे उतना अच्छा बच्चा मिलेगा.।
•अगर अपने कम breed वाले पशु से bussiness स्टार्ट किया है तो उसपर breed वाला पशु लगा कर अच्छी breed पा सकते है।
•इसमे artificial sperm insertion याने कृत्रिम प्रजनन काफी परिचालित है, इससे veterinary doctor आपके पशु को कही से लाए वाले स्पर्म को गाय के गर्भाशय में डालता है इससे काफ़ी जल्दी कम तकलीफ में बकरी का प्रजनन करा सकते है।
•इसमे बोकड का यहां वहां लेजाना नहीं पड़ता ये टेक्निक से विदेशी नस्ल को indian nasla के बकरी पे उतार सकते है
............6............bussiness बनाना राहा तो regularly income आना बहोत ही आवश्यक है. जितनी जल्दी income आएगी उतना ही जल्दी अन्य पशु खरीद रहेगी या investment होगा लेकीन बकरी पालन मे income तुरंत नहीं आता . जेसे dairy bussiness मे दूध बेचो पेसा पाओ वाला फंडा है लेकिन इसे मे सबर रखना पड़ता है।
फिर भी अगर आप bussiness technically करे तो income जल्द से जल्द प्राप्त कर सकते है।
..मानो आपके pass 12 बकरे है जिनका average weight 40 kg है जिसे पालने मे 2 साल लगे मतलब आपने काफी पेसा investment कर चुके है और जब आप बेचेंगे तो उनसे 4.40 लाख रूपए आयेंगे. जिसमें देखे तो पेसा जा रहा और कुछ समय में एक साथ मिल रहा हैं। इसमे income स्थिर नहीं है इससे bussiness आगे बढ़ाने का मौका कम ही मिलता है .
लेकिन अगर average 12 बकरे पाले औऱ monthly बेचे तो income continuously आते रहेगी जिसे investment काफी हद तक कम हों जायेगी और bussiness बढ़ते रहेगा. फिर अगले साल बकरे 24 कर दे तो इन्कम डबल हों जाएगी औऱ bussiness भी बढ़ेगा मात्र इन्वेस्टमेंट वैल्यू घटते जाएगा. ये टेक्निक काफी हद तक इन्वेस्टमेंट से बचाती है।
अगर बकरे बेच के और बकरियों से दूध निकाल तथा उनका खाद की बिक्री से भी इन्कम बड़ा सकते है. इसके लिए दुधारू बकरीया दूध उत्पादन के लिए तथा meat के लिए अलग breed पालनी पड़ेगी औऱ इसके ख़ास को एक सात बेचकर इन्कम डबल कर सकते है.
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