गाय पालन-Dairy farming संपूर्ण जानकारी, गाय और भैस पालन की उचित जानकारी

● गाय पालन  व्यवस्थापन  एवम निगडित जानकारी
○ Dairy farming with their management and informative 

In दिनौ Business चालना मतलब पैसो का काफी investment रेहता है और पेसे आते आते साल लगे जाते हैं. लेकिन dairy bussiness इसका उलट  हैं यहां पेसे आते रहते है और तो और कम बजट पे स्टार्ट कर सकते है 
इस बिजनेस में रिस्क काफी कम होती है अगर मॅनेजमेंट सही रहा औऱ बिजनेस संबधित नॉलेज रहा तो औऱ भी रिस्क कम किया जा सकता है I 
ये bussines goat farm के मुक़ाबले कम गती से बढ़ाता है लेकिन रिस्क कम रहता है और तो और इसमे आमदनी का अंदाजा आराम से लगा सकते हैं क्योंकि दूध का रेट फिक्स ही रहता है I 
गाय  साधारणतः पालना आसान है लेकिन अगर उसे  प्रोफेशनल बिजनेस बनाना   मुश्किल है  उसके लिए कुछ बाते  ध्यान में  अवश्यक है। 
  1. जैसे   बिजनेस  की सुरुवात उसका अभ्यास 
  2. व्यवस्थापन तथा पशु चुनाव 
  3.  मेडिकल चेकिंग और देखभाल 
  4.  इनपुट- जेसे खाद्य खिलाना 
  5. आऊटपुट- दूध निकालना तथा  प्रजनन 
  6. बिजनेस बढ़ाने के तरफ का गणित 

.............1............................. बिजनेस की सुरुवात करने से पहले उसका ज्ञान आवश्यक हैं  उसकी,dairy bussiness एक बढ़िया profitable तथा कम रिस्क वाला बिजनेस है, 
इससे मुनाफा आते रहती है औऱ बिजनेस गति से बढ़ते रहता है.   यह एक ट्रडिशनल बिजनेस हैं तो समझना आसान होता है लेकिन इसे थोड़ा डिजिटल करे तो कम मेहनत ज्यादा मुनाफा ले सकते है 
गाय पालन अभ्यास में  पशु  का ग्यान,  पशु के internal system तथा होने वाली बीमारियों और जनावर की नस्ल की जानकारी रखे.
अगर सुरुवात करनी हैं तो budget के नुसार start करे फालतू ख़र्चे में ना जाए स्वय ही चलाए.

सबसे पहले आपको गाय को रखने के लिए जगह की अव्यश्कता होगी. गाय को रखने के लिए ऐसे जगह का चुनाव करें जहां स्वच्छा पानी औऱ साथ हरी घास उगा सके और उस जगह पर यातायात की सुविधा भी हो. जगा जितनी बड़ी हो उतना bussiness बड़ा सकते है I 

पशू के संख्या के नुसार हम उसे दो categories मे बताएंगे 

1. Large scale farm

 इससे समझिए 

पशु संख्या -20

क्षेत्रफल -800 से  1000 sq. Feet

खर्च-12 से 20  लाख रुपये (नस्ल के नुसार)

(1.5 से 2  लाख शेडिंग और 9 से 12 लाख पशु में,हरा चारा काटने कि मशीन -50000 रुपये, दूध निकलने कि मशीन-100000 रुपये )

5 से 6 लाख साल का खर्चा एसा जाएगा-

सूखा चारे का खर्चा-1. गाय 2,00,000 रुपये per year (नस्ल के नुसार बढेगा),  2. भैस  250000 रुपये per year

हरा चारा उगाने का खर्चा एवम जमीन- 4 एकर जमीन और 10000 रुपये per year


मजदूर और उनका खर्च- 2 से 3 मजदूर और 7000 रुपये  per person मजदूरी मतलब 210000 रुपये per year

चिकित्सा का खर्चा 20000 रुपये per year

बीमा कराए तो वो अलग से होना से बीमा राशि के नुसार 

बिजली पानी  और  अन्य खर्चा - 20000 रुपये  per year



2. Small scale farm

पशु संख्या -8 से 10

Shetraphal - 400 से 600 sq. Feet

kharcha -6 से 10 लाख (नसला के नुसार)

(1  लाख शेडिंग और 5 से 10  लाख पशु का price,हरा चारा काटने की मशीन -50000 रुपये, दूध निकलने कि मशीन 50000 से 60000 रुपये)

2 से 2.5 लाख का खर्चा एसा जाएगा 

सूखा चारे का खर्चा-1. गाय-100000 रुपये per year (नसला के नुसार बढ़ेगा) 2. भैस -150000 रुपये per year

हरा चारा उगाने का खर्चा एवम जमीन- 2 एकर जमिन और 5000 रुपये  per year

मजदूर और उनका खर्चा - 100000 रुपये per year

चिकित्सा का खर्चा-10000 रुपये per year 

बीजली पानी  और  अन्य खर्चा - 10000 रुपये per year

Micro scale farm

इसमें उपरवाले के मुकाबले खर्चा बहुत आएगा  किसान इसके साथ खेती भी कर सकता है इसमें चारा काटने की मशीन तथा दूध निकालने की मशीन आवश्यक नहीं है फिर भी खर्चा एसा रहेगा 

1. पशु की संख्या 2 से 4 बस्स 

2. क्षेत्र मात्र 100 sq feet शेडिंग उतनी आवश्यक नहीं 

3. हरा चारा ½ एकर खर्चा ना के बराबर I 


4.सूखा चारा   50000 रुपये per year 

मजदूरी किसान स्यमंतक कर लेगा 

बिजली पानी चिकित्सा  पूरा पकड़े तो  2000 per year



..............2..................व्यवस्थापन तथा पशु चुनाव की बात करे तो उनमे  सादा गणित है की जितनी अच्छछे नस्ल   लावोगे चाहे वह गाय   हो या फिर  भैस, उतना दूध उत्पादन होगा और उतनाही खर्चा बढ़ेगा, इसे उदाहरण से समझिए 

Point 1. अगर आप गावरानी याने इंडियन breed लाते हो तो वह  दूध उत्पादन भले कम दे लेकिन उसे कोई भी environment सूट हो जायेगा, वहा आप अपने नुसार रख पायेंगे फॅट और snf भी अच्छे होंगे मतलब खर्चा कम जायेगे साथी मुनाफा भीं कम आएगा 

Point 2.. ये पॉईंट 1 से उलट है इसमे अगर hf  cow लाते है तो उसकी केयर बहुत करनी पड़ेगी दूध तो वो भरपूर देंगी लेकिन उसके नुसार environment बनाना पड़ेगा मतलब खर्चा तो जाएगा ।

Point 3... अगर आप अलग आलग नस्ल की breed रखते हो तो उसका असर दूध के क्वालिटी पे पड़ेगा और साथ ही उसी breed को वैसी ब्रीडिंग करनी रही तो खर्चा जाएगा 

Point 4.... ये पॉईंट वैसे तो काफी अलग है। लेकिन थोड़ा हटके है जेसे अगर आप गाय और भेस साथ मे पालते है तो आपको अलग अलग तरह से देखभाल करनी होगी अलग अलग feed supplements लगेंगे लेकिन इसके दूध के रेट बढ़ने की संभावना है। 

 ईन शॉर्ट बात करे तो breed अच्छी मुनाफा अच्छा लेकिन खर्चा बड़ा। 

 Breed कि बात की जाए तो इंडिया मे अच्छी breed परिचालित है..

  • जर्सी गाय – यह एक दमदार breed है वैसे तो ये विदेशी है लेकिन india मे इसके फार्मिंग में काफी success हैं इनमे milk production की क्षमता भी बहुत अच्छी होती है   पशु का  वजन 350 से 400 तक होता है,  दूध- 15 से 20( as per breed ) वो भी पूरे 8 महीने,Fat-2.5 से 4.0, SNF-7.8 से 9.0,
  • साहीवाल गाय – यह देशी गाय है,   इसे पालना आसन है और बीमारी भी कम होती है , पशु का वजन 350 से 500,   दूध प्रति 15 से 20 , Fat 3.0 से 5.0, SNF 8 से 9. 
  • गिर गाय – ये indian breed गाय हैं  और दूध उत्पादन के लिए बहुत अच्छी है,पशु का वजन 450 से 500,  दूध प्रति दिन 10 से15लिटर, fat 3.5 से 6.0, SNF 8 से 10.।
  •  सिंधी गाय – दूध व्यवसाय के लिए ये गाय भी बहुत अच्छी मानी जाती है । ये कम खुराक में भी अपने शरीर को अच्छे से रख लेती है  कभी बीमार  भी नही पडती। इसकी दूध की मांग काफी अच्छी है, पशु का वजन- 300 से 330 तक हो सकता है और दुध  320  दिन  मे 2200 लिटर देती हैं।
  • थरपारकर गाय – इस गाय का वजन 400 से 460 होता़ हैं। यह बिलकुल देसी गाय है, इसे पालना तो आसन है ही साथ ही साथ रख रखाव भी काफी कम है,दुध 15 से 20 देता है |
  • राठी गाय – ये  काफी महत्व प्राप्त  गाय है , dudh 8 से 10 लिटर, fat 3.0 से 5.0, SNF 8.0 से 9.5
  • होल्सटीन फ़्रिसियन गाय (HF गाय)- ये सबसे ज्यादा दूध देने वाली गई मानी जाती है लेकिन ये जादा तापमान सहन नहीं कर सकती है,  इसे पालने के लिए इंतजामात बड़े महंगे हों सकते है ,अगर bussiness का बजट बड़ा हों तभी इसका bussiness successful है. इसका वजन 550 से 600 kg रहे सकता है इसकी cross breeding करने आसान है और उपयुक्त भी है, ये breed को जादा तापमान सहन नहीं होता , दूध उत्पादन 15 se 60 लिटर, फॅट 2.8 से 3.8,SNF 7.5 se 8.5, 

  • किसानों द्वारा  इसका काफ़ी पसंद किया जाता है। 


Buffalo breed

•मुर्रा- ये सबसे पसंदीदा भैस है इसका मार्केट मे काफी डिमांड है ये फर्म डालने के लिए सबसे अच्छी है इसका पर्सनॅलिटी काफी बढ़िया होता है। 

दूध उत्पादन 10 से 25 लिटर, fat 4.0 से 7.0, SNF 9 से 11 । 


•भद्रावरी - ये भी अच्छी क्वालिटी वाली  baffalo है,इसका रंग थोडा लालसर  होता हैं, और उतर पाश्चिमात्य भारत में पायी जाती हैं 

दूध उत्पादन- 3 से 5, fat- 5 से 14, snf- 9 से 13.


•महसाना- ये महीसा district में पायीजातीहै,  किसी भी मौसम  में  रह सकते  हैं ।

दूध उत्पादन-4 से 5 लिटर, fat- 4.0 से 8.0,SNF- 9.0 से 11। 


• नीली अँड रवी  -ये  उत्तर भारत मे पाली जाती है इसकी एक  है कि इसके सर पर व्हाइट  होता़ है। 

दूध उत्पादन-10 से 20 लिटर,fat- 4.0 से 6.0,SNF- 8.0 से 11

•पंढरपुरी 

ये एक महाराष्ट्री भैस है जो काफ़ी ड्राय जगह भी रह सकती है दूध भलेही कम दे पर पोष्टिक रेहता है। 

जाफरवाडी

ये कुछ अलग तरह से दिखने वाली भैस  है, इसके सिंग नीचे के तरफ मुड़े होते है और ये काफी हेवी होती है , ये mainly गुजरात स्टेट मे पायी जाती है। 

दूध उत्पादन-1  से 3 लीटर only ,fat- 7 से 18,SNF- 9.0 से 14

उपर के हिसाब से देखे तो अलग अलग breed अलग गुणवत्ता वाला दूध देते है , जेसे चाहे वैसे  पशु हम रख सकते है।  अगर पशू खरीदना हो तो पास वाले पशु बाजार मे जाकर खरीद सकते है लेकिन  कुछ बातों का  ख्याल रखे।

1. पशु कम से कम ब्यात हुए  हो तथा पशु का ब्यात टाइम  टू टाइम हो रहा।

2. पशु की personality अच्छी हो तथा कोई बीमारी ना हो.

3. पशु कम से कम 10 के ऊपर दूध देने वाले हो क्योंकि 2 लीटर देने वाली भी उतना ही खुराक खाती हैं और 10 लिटर देने वाली भी तो चुनाव अच्छा करे। 

4. अगर साधारण पशु खरीदते है तो उसपे artificial sperm insertion करे और गुणवत्तापूर्ण breed पाए. इस टेक्नीक से आप hf गाय की भी अच्छी breed प्राप्त कर सकते है, और उसमे गर्मी सहन करने की क्षमता आ जाती है। 

और महत्वपूर्ण बाते-

》 शेडिंग अच्छे से लगाए ताकि हर मौसम मे उसका लाभ हो श्रेत्रफळ का आधा भाग शेडिंग करे और आधे जगह खुली छोड़े। 

》Feeding मे सूखा तथा  हरा चरा खिलाए जों 10 से 30 kg ही हों ।

पानी साफ और सुद्धा पिलाए औऱ पानी की व्यवस्था दिन भर हों एसे जगह ही फर्म डाले पशु को दिन मे 30 से 40 लीटर पानी लगता है। 

》 खाद्य मे feed supplements दे उसे दूध उत्पादन,फर्टिलिटी,Reproduction syatem,digestive system,और इम्यून बड़ती है। 

》बछडे को पहली बार ब्याने को 3 से 4 साल लग  जाते है।

》भैस का गर्भ धारण समय 310 से 320 दिन होते है और दूध देने का समय 270 दिन रहता है।

》गाय  का गर्भ धारण समय 270 से 280 दिन होता है और दूध देने का समय कमसे कम 210 दिन रहता है।

》अगर साल भर profit लेना रहा तो भैसों  तथा गायों को 2 बॅच मे बाटे अगर पहिली बॅच दूध दे रहीं हो तो दूसरे बॅच गाभण रहे और दूसरी बॅच दूध देने लगे तो पहिली बॅच गाभण हो जाये इससे profit साल भर आता रहेगा bussines मे अडचण नहीं जायेगी। 


........3............मेडिकल केयर ओर  देखभाल महीनेके  नुसार  समझते है। 

जनवरी (January)

  • 1. पशुओं को सर्द से बचाव करें।
  • 2. खुरपका-मुँहपका का टीका अवश्य लगवायें।
  • 3. उत्पन्न निकालते रहें 
  • 4. Parasite, किडे,मच्छर से बचाव के लिए दवा स्नान करायें यातो छिड़काव करे। 
  • 5. दुहान से पहले थन को गुनगुने पानी से धो लें।
  • 6. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।
  • सुबह की धूप दे 

फरवरी (February)

  • 1. खुरपका-मुँहपका का टीका  नहीं किया तो लगवाकर पशुओं को सुरक्षित करें।
  • 2. जिन पशुओं में जुलाई अगस्त में टीका लग चुका है, उन्हें पुनः टीके लगवायें।
  • 3. Parasite और internal worms के लिए दवा पिलवायें।
  • 4. कृत्रिम गर्भाधान करायें।
  • 5. बांझपन की चिकित्सा 3 से 5 महिने का पशु के गाभण का परीक्षण करायें।
  • 6. बरसीम का बीज तैयार करें।
  • 7. पशुओं को ठण्ड से बचाव का प्रबन्ध करते रहे।
  • 8. Supplements feed देते रहे।

मार्च (march)

  • 1. पशु की जांच कराए 
  • 2. बधियाकरण करायें।
  • 3. खेत में चरी, सूडान तथा लोबिया की बुआई करें।
  • 4. मौसम में परिवर्तन से पशु का बचाव करें
  • 5. Feed में शुध्दता का ध्यान रखें।



अप्रैल (April)

  • 1. खुरपका-मुँहपका रोग से बचाव का टीका लगवायें।
  • 2. जायद के हरे चारे की बुआई करें, बरसीम चारा बीज उत्पादन हेतु कटाई कार्य करें और थोड़ी थोडी मात्रा में खिलाएं।
  • 3. अधिक आय के लिए स्वच्छ दुग्ध उत्पादन करें।
  • 4. Internal एवं external parasite के बचाव दवा स्नान/दवा पान से करें।
  • 5. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।

मई (may)

  • 1. गलाघोंटू तथा लंगड़िया बुखार का टीका सभी पशुओं में लगवायें।
  • 2. पशुओं को हरा चारा पर्याप्त मात्रा में खिलायें।
  • 3. पशु को स्वच्छ पानी पिलायें।
  • 4. पशु को सुबह एवं सायं नहलायें।
  • 5. पशु को लू एवं गर्मी से बचाने की व्यवस्था करें।
  • 6. परजीवी से बचाव हेतु पशुओं में उपचार करायें।
  • 7. बांझपन की चिकित्सा करवायें तथा गर्भ परीक्षण करायें।
  • 8. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।

जून (June)

  • 1. गलाघोंटू तथा लंगड़िया बुखार का टीका अवशेष पशुओं में लगवायें।
  • 2. पशु को धूप से बचायें।
  • 3. हरा चारा पर्याप्त मात्रा में दें।
  • 4. परजीवी निवारण हेतु दवा पशुओं को पिलवायें।
  • 5. खरीफ के चारे मक्का, लोबिया के लिए खेत की तैयारी करें।
  • 6. बांझ पशुओं का उपचार करायें।
  • 7. सूखे खेत की चरी न खिलायें अन्यथा जहर वाद का डर रहेगा।
  • 8. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।

जुलाई (July)

  • 1. गलाघोंटू तथा लंगड़िया बुखार का टीका शेष पशुओं में लगवायें।
  • 2. खरीफ चारा की बुआई करें तथा जानकारी प्राप्त करें।
  • 3. पशुओं को अन्तः कृमि की दवा पान करायें।
  • 4. वर्षा ऋतु में पशुओं के रहने की उचित व्यवस्था करें।
  • 5. ब्रायलर पालन करें, आर्थिक आय बढ़ायें।
  • 6. पशु दुहान के समय खाने को चारा डाल दें।
  • 7. पशुओं को खड़िया का सेवन करायें।
  • 8. कृत्रिम गर्भाधान अपनायें।
  • 9. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।

अगस्त (August)

  • 1. नये आये पशुओं तथा अवशेष पशुओं में गलाघोंटू तथा लंगड़िया बुखार का टीकाकरण करवायें।
  • 2. लिवर फ्लूक के लिए दवा पान करायें।
  • 3. गर्भित पशुओं की उचित देखभाल करें।
  • 4. ब्याये पशुओं को अजवाइन, सोंठ तथा गुड़ खिलायें। देख लें कि जेर निकल गया है।
  • 5. जेर न निकलनें पर पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें।
  • 6. भेड़/बकरियों को परजीवी की दवा अवश्य पिलायें।
  • 7. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।

सितम्बर (September)

  • 1. उत्पन्न संतति को खीस (कोलेस्ट्रम) अवश्य पिलायें।
  • 2. अवशेष पशुओं में एच.एस. तथा बी.क्यू. का टीका लगवायें।
  • 3. मुँहपका तथा खुरपका का टीका लगवायें।
  • 4. पशुओं की डिवर्मिंग करायें।
  • 5. भैंसों के नवजात शिशुओं का विशेष ध्यान रखें।
  • 6. ब्याये पशुओं को खड़िया पिलायें।
  • 7. गर्भ परीक्षण एवं कृत्रिम गर्भाधान करायें।
  • 8. तालाब में पशुओं को न जाने दें।
  • 9. दुग्ध में छिछड़े आने पर थनैला रोग की जाँच अस्पताल पर करायें।
  • 10. खीस पिलाकर रोग निरोधी क्षमता बढ़ावें।
  • 11. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।

अक्टूबर (October)

  • 1. खुरपका-मुँहपका का टीका अवश्य लगवायें।
  • 2. बरसीम एवं रिजका के खेत की तैयारी एवं बुआई करें।
  • 3. निम्न गुणवत्ता के पशुओं का बधियाकरण करवायें।
  • 4. उत्पन्न संततियों की उचित देखभाल करें
  • 5. स्वच्छ जल पशुओं को पिलायें।
  • 6. दुहान से पूर्व अयन को धोयें।
  • 7. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।

नवम्बर (November)

  • 1. खुरपका-मुँहपका का टीका अवश्य लगवायें।
  • 2. कृमिनाषक दवा का सेवन करायें।
  • 3. पशुओं को संतुलित आहार दें।
  • 4. बरसीम तथा जई अवश्य बोयें।
  • 5. लवण मिश्रण खिलायें।
  • 6. थनैला रोग होने पर उपचार करायें।
  • 7. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें।

दिसम्बर (December)

  • 1. पशुओं का ठंड से बचाव करें, परन्तु झूल डालने के बाद आग से दूर रखें।
  • 2. बरसीम की कटाई करें।
  • 3. वयस्क तथा बच्चों को पेट के कीड़ों की दवा पिलायें।
  • 4. खुरपका-मुँहपका रोग का टीका लगवायें।
  • 5. सूकर में स्वाईन फीवर का टीका अवश्य लगायें।
  • 6. खान-पान में शुध्दता का ध्यान रखें



.........4...........खाद्य क्या खिलाए.

पशु के शरीर की देखभाल के लिए 1.5 किलो प्रतिदिन व भैंस के लिए दो किलो प्रतिदिन

दुधारू पशुओं के लिए प्रत्येक 2.5 लीटर दूध के पीछे एक किलो दाना भैंस प्रत्येक दो लीटर दूध के पीछे 1 kg  दाना दे 

गाभिन गाय या भैंस के लिए चार महीने से ऊपर की गाभिन गाय या भैंस को एक से 1.5 kg दाना प्रतिदिन  देना चाहिए।

बछड़ो के लिए एक किलो से 2.5 kg तक दाना प्रतिदिन उनकी उम्र या वजन के अनुसार देना चाहिए।


सौ किलो संतुलित दाना बनाने का ग्राफ

दाना मिश्रण के फायदा 

  • गाय-भैंस अधिक समय तक दूध देने की क्षमता रहती है।
  • पशुओं को पसंद आता है और यह पौष्टिक होता है।
  • बहुत जल्दी पच जाता है और पशु का शरीर बनता हैं।
  • यह पदार्थ सस्ता पड़ता हैं।
  • पशु रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • दूध और घी में भी बढ़ोत्तरी होती है।


.........5............दुध निकलने का तथा पुनः ब्याने का तरीका जान लेना भी आवश्यक है इससे शेड्यूल के हिसाब से bussiness कर सकते है। 

•गाय तथा  भैस  का  जीवनकाल में   8 से 10 बयात दूध देती हैं. उसमे से हर ब्यात में 180 से 250 दिन दूध देते हैं 

•दूध उत्पादक जानवर आमतौर पर एक दिन में दो या तीन बार दूध देते है

 •गाय को  सुबह 6 से 8 बजे तक और शाम को 5 से 7 बजे   दूध दुहना चाहिए तब उन्हें छाँव में ले आयें जहां उनके  खाने का इन्तेजाम किया हुआ हो . 
जब गाय  खाने में व्यस्त हो जाती है तो उसी वक्त उसका दूध दुह लेना चाहिए 
•दूध दुहने वक्त अपने हाँथो में हल्का सरसों तेल या फिर castor oil  लगाए ।

•दूध निकलने पर उसे ठंडे जगह सुरक्षित रखे जब तक आप उसे ईस्तेमाल अथवा  बेंच ना दे। 

•किसान चाहे तो डायरेक्ट बेच सकते है नही तो उसासे बनाने वाले प्रोडक्ट बनाकर बेचे।  

•दूध कहीं पासी के दूध संकलन केंद्र पर बेच सकते है। 

•किसान चाहे तो वह दूध किसी कंपनी को  भी बेच सकते है उसके लिये दूध का उत्पात 500 लिटर के उपर होना चाहिए। 

•किसान दूध का कुछ प्रोडक्ट बनाकर भी बेच सकते है जैसे पनीर,दही,घी.।

•बछडे को भरपूर दूध पिलाना चाहिये उससे वो काफ़ी तंदरुस्त बनते है अगर वो अच्छे सांड बने तो प्रजनन के काम आ सकते है। 

•प्रजनन एक ऐसी टर्म है जो डेयरी bussiness पर काफ़ी प्रभाव करती है। .

•जितने तंदरुस्त सांड से प्रजनन करवायेंगे उतना अच्छा बछड़ा मिलेगा.। 

•अगर अपने कम breed वाले पशु से bussiness स्टार्ट किया है तो उसपर breed वाला पशु लगा कर अच्छी breed पा सकते है। 

•इसमे artificial sperm insertion याने कृत्रिम प्रजनन काफी परिचालित है, इससे veterinary doctor आपके पशु को कही से लाए वाले स्पर्म को गाय के गर्भाशय में डालता  है इससे  काफ़ी जल्दी कम तकलीफ में गाय  तथा  भैस का प्रजनन करा सकते है। 

•इसमे सांड का यहां वहां लेजाना नहीं पड़ता ये टेक्निक se hf जैसे नस्ल को indian nasla के गाय  पे उतार सकते है। 



...........6...........Business बढ़ाना रहा तो दूध का उत्पादन साल भर आना जरूरी है,  उसके लिए 2 बॅच बनाये ताकि एक बॅच के पशु गाभण  रहें तो दूसरा बैच के पशु से दूध मिले इससे इन्कम आते रहेगी।

अगर bussiness को चलाना है तो पशु पे उतना ही खर्च करे जितना उसे ज़रूरत है जैसेः उतना ही खिलाए जितना उनकों लगता है. और इतनाही दूध निकाले , जादा महँगा चारा ना खिलाए।

पशु के बीमारी के नुसार दवाई खिलाए बेवजा खिलाना महँगा पड सकता है बाकी पशु को सजाना दुलारा आपके प्यार पर है। .

पशु से निकलने वाला उत्पन्न 

उदाहरण – अगर 1 गाय एक दिन में से 10 (breed के नुसार) लीटर दूध देती है दूध की कीमत = 30 रुपये 

तो दिन का टोटल आय =-10लिटर दूध ×30 रुपये = 300 रुपये 

इसके हिसाब से देखे तो 20 से  गाय का प्रति दिन आय =20×300=6000 रुपये रह  सकती है 

महीने के हिसाब से देखे तो = 30 दिन ×6000= 1,80,000

साल के  हिसाब से देखे तो =12 महीने × 1,80,000 =2,160,000 आएगा 

अगर इसमें से खर्चा निकले तो = 2,160,000 - 5,00,000= 1,660,000 रुपये 

(ये गणित 20 गाय से मिलते 10 लिटर दूध पर 30 रुपये प्रति लिटर पर आधारित हैं इसमें कम जादा हो सकता है)

(साथ ही ये 2 बैच से मिलाया गणित है क्योकि एक batch 5 से 7 महीने ही दूध देंगे)

पशु की कीमत निकलने का तरीका

उदाहरण – अगर 1 गाय एक दिन में 1 L दूध देती है तो  दाम 3,000 से 4,000 रुपये रहेगा .
अगर दूसरा पशु  10 L दूध देता है  तो 
कीमत =  30,000 से 40,000 रुपये 

15 L वाली गाय तो मूल्य = 45,000 से 60,000 रुपये 

20 L=60,000 से 80,000 रुपये 

30L=90,000 से 1,20,000 रुपये 


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