अन्य भाषा में नाम- जहरबाद, फडसूजन, काला बाय, कृष्णजंधा, लंगड़िया, एकटंगा
यह रोग प्रायः सभी स्थानों पर पाया जाता है लेकिन नमी वाले क्षेत्रों में व्यापक रूप से फैलता है।
- । यह रोग छह माह से दो साल तक की आयु वाले बछडे को होता है
- । यह रोग 'लंगड़ी बीमारी' के नाम से प्रसिद्ध है। यह जीवाणु (बैक्टिरिया) से पैदा होने वाला पशु रोग है (clostridium choviai bacteria)
लक्षण-
- ज्वर आता है
- मांसल भाग (thai of leg) का दर्दयुक्त सूजन
- लंगड़ापन लक्षण है पेरौ मे सुजन।
- बछडे को प्रभावित करते है।
रोकथाम-
- वर्षा ऋतु से पूर्व इस रोग का टीका लगवा लेना चाहिए। यह टीका पशु को ६ माह की आयु पर भी लगाया जाता है।
- संक्रमीत पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग कर देना चाहिए। quarantine करे।
- भेडों में ऊन कतरने से तीन माह पूर्व टीकाकरण करवा लेना चाहिये क्योंकि ऊन कतरने के समय घाव होने पर जीवाणु घाव से शरीर में प्रवेश कर जाता है जिससे रोग की संभावना बढ जाती है।
- सूजन को चीरा मारकर खोल देना चाहिये जिससे जीवाणु हवा के सम्पर्क में आने पर अप्रभावित हो जाता है।
दवाईया-
रोग हेतु-
- पेनिसिलीन,
- सल्फोनामाइड,
- टेट्रासाइक्लीन ग्रुप के एंटिबा योटिक्स
घाव बसने हेतु-
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