पशुपालन जानकारी--Animal husbandry

पशुपालन Animal husbandry



यह   कृषि विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पालतू पशुओं के अलग अलग स्थिती
जैसे 》भोजन (feeding),
 》आश्रय (shelter),
 》स्वास्थ्य( health care),
》 प्रजनन (Reproduction)l
》निगडित ख़र्चे   और उनके आय(INCOME)  का अध्ययन  तथा चयन किया जाता है।


इतिहास 

पशुओं को पालने-पोसने का इतिहास सभ्यता के अवस्थांतर को दर्शाता है जहां समुदायों ने शिकारी-संग्राहक जीवनशैली से कृषि की ओर जाकर स्थिर हो जाने का निर्णय लिया। पशुओं को 'पालतू' कहा जाता है। कई आधुनिक फ़ार्म पशु अब जंगली जीवन के लिए अनुपयुक्त हो चुके हैं।
 गाय का तो हिन्दूधर्म में काफी समान है उसे माँ कहा गया हैं, 
भैस का  भी नाम पुरातन किताबों में मिल  जाता  है  उनमे मिहसासुर नाम काफी महत्व प्राप्त करता है। और यमराज की स्वारी है।
आंध्रप्रदेश मे महीसामती और महीसा मण्डल भी प्रचलित है। दुग्ध उत्पादन की सुरुवात 5000 वर्ष पुर्व सिंधु घाटी मे हुई।

वहीं  बकरियां  लगभग 8000 वर्ष ईपू एशिया में पालतू बनायीं गयी थीं। शूकर अथवा सूअर 8000 वर्ष ईपू पहले मध्य एशिया व चीन में पालतू बनाये गए थे। घोड़े को पालतू बनाये जाने के सबसे प्राचीन प्रमाण लगभग 4000 ईपू से समय से प्राप्त होते हैं।


 पशुपालन का अभ्यास भी लेना आवश्यक हो गया है उसके बिना बैंकभी loan पास नहीं करती
इसका अभ्यास विभिन्न विद्यालयों तथा विद्यापीठो में लागू किया गया है 
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यह एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है जो किसानों तथा भारत सरकार के आय का माध्यम हैं  इससे साल भर आय प्राप्त कर सकते हैं 


महत्व   और    जानकारी 

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एवं पशुपालन का काफी महत्व है।  

घरेलु आय से देखे तो iska 28-30 % का योगदान है ।जिसमें 》 दूध व्यवसाय, 

》खाद व्यवसाय, 

》पशु की खरेदी बिक्री प्रमुख है 

दुग्ध एक ऐसा उत्पाद है जिसका योगदान सर्वाधिक है। भारत में विश्व की कुल संख्या का 15 % गायें  और 55% भैंसें है





 भारत में   दुग्ध उत्पादन

 

। भारत लगभग 121.8 million tons दुग्ध उत्पादन करके विश्व में प्रथम स्थान पर है जो कि अच्छी बात है.

 उत्तर प्रदेश इसमें आगे है। यह उपलब्धि पशुपालन से जुड़े विभिन्न पहलुओं ; जैसे-  पशु breed, पालन-पोषण, स्वास्थ्य एवं आवास प्रबंधन इत्यादि में किए गये अनुसंधान एवं उसके प्रचार-प्रसार का परिणाम है। 

छोटे, भूमिहीन तथा सीमान्त किसान जिनके पास फसल उगाने एवं बड़े पशु पालने में असमर्थ है , छोटे पशुओं जैसे भेड़-बकरियाँ, सूकर मुर्गीपालन ही आधार है।


 विश्व में हमारा स्थान बकरियों की संख्या में दूसरा, भेड़ों की संख्या में तीसरा एवं कुक्कुट संख्या में सातवाँ है।

 कम मेहनत कम खर्च कम जगह, कम स्थान से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए इन  छोटे पशुओं का अहम योगदान है। 


भारतीय अर्थव्यवस्था 

Total land to Farmers 

कृषि + पशुपालन  graph


जनसंख्या  (भारतीय)



क्या करे 

  पशु  की देखभाल shedule बनाकर   करे 

2. टाइम तो टाइम vaccination करे 

3. पशु को साफ पानी पिलाए और खाद्य nutrition पूर्ण हो 

4. कोटा या फार्म साफ रखे 

5. पशु   के  शेल्टर की चेकिंग करते रहे 

6. दुध, गोबर, मूत्र, रक्त, saliva का  check up करते रहे 

5. Parasite flies mosquito याने मच्छर से बचाव करे 

6. रोगी पशु को अलग बंदे अलग खाना और पानी पिलाए 

7. मरे पशु को अच्छे से दफन करे 

8. पशु को साफ सुथरा औऱ धोते रहे 

9. दुधारू पशु का पूरा दुध निकाले अन्यथा थनैला हो सकता है 

10. कोई viral रोग आने पर उपचार जल्दी  से करे 

11. खाद्य मे nutritional supplements का समवेश करे 

12. दूध कि quality पर ध्यान रखे 

13. पशु को ना मारे 

15. घाव होने पर तुरंत इलाज करे 

16. पशु को मादक पदार्थ ना खिलाए 

17.  बासा खाना, प्लास्टिक ना खिलाए 

18. बिना पशु चिकित्सक के जानकारी से इलाज ना करें 

19. गाभण पशु की सेवा अच्छे से करे खाने मे डाल अवश्य खिलाए 

20. पशु को छावदार थंडी जगह पे ही बांधे 

21. Diarrhea होने पर minerals poweder ही खिलाए 

22. Therapeutic medicine पशु बीमार होने पर हि दे या फिर nutritional powder ही खिलाए 

23. पशु को बांधने वाले रस्सी का निरंतर बदलाव करे 

24. मछली पालन में पानी को साफ़ करते रहें 

25. पानी में probiotic या आक्साइड का उपयोग करें 

26. मुर्गी पालन में मुर्गी को चेक करते रहे और फीड में दवाइयां खिलाए 

27. बछडो को दूध पिलाने उन्हें खास ध्यान दीजिये 

पशु कि लड़ाई ना होने दे 

28. Veterinary डॉक्टर के संपर्क में रहे 

29. Farm में eco-friendly ही चीज use करें 

30. कोई भी decisions लेना हो तो आराम से ले वर्ना इसका असर buissness पर पड़ता है 

निरंतर  इसका अभ्यास करते  रहे 


क्या ना करें 

  पशु को  धूप में ना बांधे 

2.  दवाई का छिड़काव के समय पशु को अलग करते

3. बीमार पशु को अच्छे पशु मे ना लाए 

4. जादू टोना बुवा बाजी से बचे 

5. पशु को बार बार परेशान ना करे और नहीं मारे 

6. खुदसे उनकी चिकित्सा  ना करे 

7. Expired medicine ना खिलाए 

8. थंड मे ना बांधे 

9. बारिश से बचाए 

10. समय से पहिले गाभण ना  होने दे 

11. Health supplements का जादा use ना करे 

12. Steriodal  बेवजह ना दे 

13. गंधा पानी और खाना ना खिलाए 

14. Vaccination को ना टाले 

15. किसी अनजाने व्यक्ति को o पशु के पास ना जाने दे 

16. पशु की लड़ाई  ना कराए 

17. पशु का समान करे कोइ तकलीफ नहीं होने दे साथ ही कत्तल खाने में बेचने से बचाए 

18. मुर्गी पालन तथा मछली पालन वाले ख़ास ध्यान रखें 


पशु  को  होने  वाले  रोग 





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