.. याने कुक्कुट पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें खास तौर पर पक्षी पाले जाते जिनसे अंडे तथा मांस का उत्पन्न निकाला जाता हैं।
कुक्कुट पालन सबंधित व्यवसाय में ज्यादातर मुर्गी, बदक,लावा और कबूतर पक्षी का पालन किया जाता हैं और इन bussiness के लिए सरकार की भी कोई आपत्ति नहीं होती इसके उलट गवर्नमेंट केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान किसानों तथा पक्षी पालकों को अनुदान भी मुहैया करती है
कुक्कुट पालन से खाद भी प्राप्त होता हैं और ये गाय- भैस के खाद से पोषण युक्त राहता है।
.......... A.)मुर्गी पालन 》
Poultry farming मे सबसे ज्यादा किया जाने वाला bussiness मुर्गी पालन ही है ।
ये कम समय में तथा कम जगह में ज्यादा पक्षी पालने का जरिया है। इसमें मुनाफा काफ़ी हैं।
मांस- इसके पालन हर पांच पांचवे महीने में मुर्गा /मुर्गी मास के लिए बेचकर मुनाफा आ जाता है।
अंडा- मुर्गी से १२-१५ माह तक अंडा उत्पादन से मुनाफा मिल जाता।
खाद- ४० मुर्गियों के विष्ठा से उतना ही पोषक तत्त्व प्राप्त होता है जितना कि एक गाय के गोबर से प्राप्त होता है।
भोजन- मुर्गीयोंको calcium और protein सहित आहार देना होता है।
व्यवस्थापन- मुर्गियों को Shedd में रखा जाता है।
#वर्मी कम्पोस्ट बनाते समय प्राप्त हुए अधिक केचुओं को मुर्गो हेतु खाने को देने से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
...B.)बत्तख पालन-》
ये मुर्गी पालन जेसा ही बिझनेस हैं इसमें भी उतना ही खर्चा आता है मात्र ये खास तौर से अंडों के लिए लाभदायक हैं
बत्तख पालन संबंधित जानकारियां-
अंडा- बत्तख 300 से अधिक अण्डे एक साल में देती हैं और प्रत्येकी अंडे का वजन 65 से 70 ग्राम होता है।
बत्तख दूसरे एवं तीसरे साल में भी काफी अण्ड़े देती रहती हैँ। अतः ये मुर्गी पालन से काफ़ी profitable हैं।
रोगप्रतिकारक शक्ती- मुर्गियों की अपेक्षा बत्तखों में कम बीमारियाँ होती हैं।
आहार तथा व्यवस्थापन-बत्तख अधिक रेशेदार आहार पचा सकती हैँ। साथ ही पानी में रहना पसंद होने से बहुत से जलचर insect,algae खाकर आहार की पूर्ति करते हैं।
.....C.)लावा ,तितर पालन》
लावा पक्षी बहुत छोटे तथा नारंगी रंग के होते हैं औऱ परों पर काले पट्टे होते हैं, ये वजन से कम होते हैं औसत 300g से 400g होता हैं
साधारणतः इनका प्रजनन काल मार्च से मई तक रहता हैं लेकिन फार्म में ये तापमान के नुसार तथा भोजन के उपलब्धता के नुसार साल भर अंडे देते हैं।
मांस- इसे खास तौर पर मास ke liye pala जाता हैं. अंडे से निकलने के एक महीने में ही वयस्क हो हैं।
अंडे- तितर पक्षी 10 से 20 दिनों में 8 से 10 अंडे देते हैं.
अंडे लालसर तथा पिले रंग के होते हैं।
रोगप्रतिकारक शक्ती- लावा पक्षी को किसी भी प्रकार के दवाई तथा लसीकरन की जरुरत नही होती।
भोजन- इनको भी मुर्गी को लगने ही भोजन जाता हैं।
एक मुर्गी के भोजन में पांच तितर के भोजन की व्यवस्था हो जाती हैं।
व्यवस्थापन- मुर्गीपालन के मुकाबले इनको कम जगह लगती हैं, कम खर्चेेेे में इनका व्यवस्थापन होता है।
#तितर के कुछ ही जाते पालने की सरकार से अनुमती है।
......D.).- कबुतर पालन
कबूतर पालन वेसे से तो कोई प्रोपर व्यावसाय नहीं हैं लेकिन इसे दक्षिण भारत में तथा उत्तर प्रदेश, दिल्ली में किया जाता हैं। वेसे तो bussiness खासा मुनाफा नहीं देता लेकिन इसे सौक के लिए कर सकते है ।
कबुतर दिखने मे काफी सुंदर और मटकदार होता है,
अंडे- कबूतर 5 से 6 महीने की उम्र में अंडे देना शुरू कर देते हैं। और हर साल 24 से 30 अंडे देते हैं।
मांस- कबूतर एक महीने मे साधारणतः वयस्क हो जाते है।उनका वजन 500g से 1000g तक का रह सकता है।
भोजन- उन्हें प्रोटीनयुक्त चारा खिलाना लाभ दायक है।
व्यवस्थापन- कबूतर को खुलेपन माहौल मे छोड देेेना होता है। साथ ही रात के लिए अलग से 30×30cm का घर चाहिए होता हैं जिनमें वे अंडे भी देते ।
........E.)..टर्की पालन 》
टर्की पालन तेजी से किया जाने वाला busainess हैं हर साल इसमे रूधी हो रही है, इसे काफी मुनाफा कमा रहे हैं वेसे तो ये मुर्गी पालन समान ही bussiness है जिसमे उतनी ही जगह तथा उतना ही खर्चा आता है मात्र इसमे profit थोडा ज्यादा मिल जाता है. वेसे तो इसे अंडे और मांस के लिए किया जाता आ रहा है।
अंडे- टर्की पक्षी 8 महीने से 250 से 300 अंडे देते हैं। प्रत्येेकी अंडे का वजन 65g होता हैं।
मांस- इसे खास तौर पर मास के लिए ही पाला जाता हैं, एक वयस्क टर्की का वजन 5 से 7 kg रहता हैं।
भोजन- टर्की पक्षी ज्यादातर किडे,दीमक खाते हैं और calcium अधिक से अधिक खिलाए ।
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