टि बी

उ. पशु – यक्ष्मा (टी. बी.) तपेदिक, क्षयरोगएमटीबी या टीबी 

(tubercle bacillus का लघु रूप)

एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया, आमतौर पर माइकोबैक्टीरियम तपेदिक के विभिन्न प्रकारों की वजह से होती है।

क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब वे पशु जो सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित हैं, खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं।ज्यादातर संक्रमण स्पर्शोन्मुख और भीतरी होते हैं, लेकिन दस में से एक भीतरी संक्रमण, अंततः सक्रिय रोग में बदल जाते हैं, जिनको अगर बिना उपचार किये छोड़ दिया जाये तो ऐसे संक्रमित पशु में से 50% से अधिक की मृत्यु हो जाती है।

पशु स्वस्थ्य के रक्षा के लिए भी इस रोग से काफी सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि यह रोग पशुओं का संसर्ग में रहने वाले या दूध इस्तेमाल करने वाले मनुष्य को भी अपने चपेट में ले सकता है।

लक्षण  -

पशु कमजोर और सुस्त हो जाना।  

नाक से खून निकलना 

सूखी खाँसी भी हो सकती है।

 खाने के रुचि कम हो जाती है तथा उसके फेफड़ों में सूजन हो जाती है।

चिकित्सा – संक्रामक रोगों से बचाव का प्रबंध करना चाहिए। संदेह होने पर पशु जाँच कराने के बाद quarantine  इंतजाम करें। 

बीमारी पशु को पशु – अस्पताल भेज देना ही   उचित है, क्योंकी यह एक असाध्य रोग है।

पशु को गुनगुना पानी पिलाने तथा अच्छा भोजन कराए। 

रोकथाम- 

  1. मिनरल और विटामिन से पूर्ण पौष्टिक आहार दे।
  2. बाड़े में प्रर्याप्त स्थान के comfort लिए।
  3. साफ सफाई करे।
  4. पशुओं के बाड़े में साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  5. नियमित विसक्रंमण करे।
  6. रोग रोधन के लिए salt  का इस्तेमाल किया जा सकता हैं-
  • 2-4 प्रतिशत फारमेलिन+
  • 5 प्रतिशत चूना+
  • 5 प्रतिशत फिनाइल+
  • 2 प्रतिशत तूतिया=

औषधोपचार-   स्टृप्टोमाइसिन,

 रिफाम्पिसिन,

 आइसोनियाजिड 

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