योनि का प्रदाह
यह रोग गाय – भैंस के व्याने के कुछ दिन बाद होता है। इससे भी दुधारू पशु को काफी नुकसान पहूंचता है। जर का कुछ हिस्सा अंदर रह जाने के करण यह रोग होता है। इससे पशु को बचाने के लिए सावधानी बरतनी जरूरी है, अन्यथा पशु के बाँझ होने की आशंका रहेगी।
लक्षण
- मवेशी का तापमान थोड़ा बढ़ जाता है।
- योनि मार्ग से दुर्गन्धयुक्त पिब की तरह पदार्थ गिरता रहता है। बैठे रहने की अवस्था में तरल पदार्थ गिरता है।
- बेचैनी बहुत बढ़ जाती है।
- योनि स्त्राव
- अत्यधिक गन्दी योनि गंध
- पेशाब करते समय असुविधा या जलन होना.
- संभोग के दौरान दर्द/जलन साथ हि blood flow
- दूध घट जाता है या ठीक से शुरू ही नहीं हो पाता है।
उपचार
- गूनगूने पानी में थोड़ा सा alcohol या पोटाशियम परमैंगनेट मिलकर रबर की नली की सहायता से देनी गर्भाशय की धुलाई कर देनी चाहिए।
- इस्ट्रोजन हारमोन पशु की मांशपेशियों में देना चाहिए।
- टेट्रासाइक्लीन, आक्सीटेट्रासाइक्लीन, क्लोरटेट्रासाइक्लीन या फ्यूरासिन बच्चेदानी में पांच दिन तक लगातार डालें।
- यदि जेर का भाग बाहर निकला हुआ है तो उसमें कोई वस्तु जैसे ईंट बांधने से भी कई बार बाहर निकल जाता है।
- जेर के बाहर निकल जाने पर बच्चेदानी की सफाई करना अत्यधिक आवश्यक होता है। इसके लाल दवा (पौटेशियम परमैगनेट) का घोल पानी में बनाकर बच्चेदानी की सफाई कर देना चाहिए।
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