जेर का अंदर रह जाना
पशुओं में ब्याने के लगभग 3-5 घंटे में जेर स्वयं बाहर निकल आती है लेकिन कभी-कभी ऐसा देखने में आता है कि ब्याने के बाद पशुओं में कई घंटों तक जेर नहीं निकलती और बच्चेदानी के अंदर कई प्रकार के बीमारियां हो जाती हैं।
पशु का कभी - कभार जेर अंदर ही रह जाता है जिसका बुरा पशु को भुगतना पड़ता है। खास कर गर्मी में अगर जेर छ: घंटा तक नहीं निकले तो इसका नतीजा काफी बुरा हो सकता है। इससे पशु के बाँझ हो जाने आंशका भी बनी रहती है। जेर रह जाने के कारण गर्भाशय में सूजन आ जाती है और खून भी विकृत हो जाता है।
लक्षण
- बीमार गाय या भैंस बेचैन हो जाती है।
- झिल्ली का एक हिस्सा Vaginal area से बाहर निकल जाता है।
- बदबूदार पानी निकलने लगता है, जिसका रंग काला होता है।
- दूध भी फट जाता है quality परप्रभावपडता है।
- बच्चेदानी से बाहर जेर का लटकता हैं।
- जेर के टुकड़े गर्भाशय के अंदर होने पर हाथ डालकर देखे जा सकते है।
- पेट पर बार-बार पैर मारना तथा पशु को दर्द होना।
- बुखार होना और पशु का खाना न खाना जुगल नहीं करता है।
- दूध उत्पादन में कमी और दुर्गंध आना।
- बच्चेदानी के बाहर बदबू आना (सड़नेसे)।
- समय ज्यादा होने पर मवाद का बाहर निकलना की संभावना है।
- जेर रूकने के कारण बेचैन होना और पशु का बार-बार बैठना और उठना आम लक्षण हैं।
- पशु का शक्तिहीन तथा सुस्त होता है।
चिकित्सा
- पिछले भाग को गर्म पानी से धोना चाहिए। बिना जेर को हाथ लगे।
- आराम से जर को निकालने के लिए किसी प्रकार का जोर ना लगाए।
- जेर न निकलने पर बच्चेदानी में हाथ डालकर देख लेना चाहिए। यदि जेर आसानी से निकल जाए तो उसे निकाल देना चाहिए, ज्यादा बल नहीं लगाना चाहिए क्योंकि गर्भाशय में अनेक विकार उत्पन्न कर दे।
- जेर के बाहर निकल जाने पर बच्चेदानी की सफाई करना अत्यधिक आवश्यक होता है। इसके लाल दवा (पौटेशियम परमैगनेट) का घोल पानी में बनाकर बच्चेदानी की सफाई कर देना चाहिए।
- जेर रूकने से पशु की दूध की मात्रा में कमी हो जाती है इसलिए खनिज पदार्थ जैसे कैल्शियम, फास्फोरस आदि उचित मात्रा में पशु को देना चाहिए।
- जेर रुकने से मैट्राइटिस या गर्भाशय में सूजन आ जाती है जिसका उचित इलाज करना चाहिए विशेष जानकारी के लिए पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए
दवाईया-
- Estrogen Hormone दवा पशु की मांशपेशियों में देना चाहिए।
- टेट्रासाइक्लीन,
- आक्सीटेट्रासाइक्लीन,
- क्लोरटेट्रासाइक्लीन या फ्यूरासिन बच्चेदानी में पांच दिन तक लगातार डालें।
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